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आजकल बालकों को दूध के अलावा बाजारू बेबीफूड (फॅरेक्स आदि) खिलाने की रीति चल पड़ी है । बेबीफूड बनाने की प्रक्रिया में अधिकांश पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, कई बार कृत्रिम रूप से वापस मिलाये जाते हैं, जिसे बालकों की ऑंतें अवशोषित नहीं कर पातीं । बेबीफूड का मुख्य घटक अतिशय महीन पिसा हुआ गेहूँ का आटा है, जो चिकना होने के कारण ऑंतों में चिपक जाता है । आटा पीसने के बाद एक हफ्ते में ही गुणहीन हो जाता है जबकि बेबीफूड तैयार होने के बाद हाथ में आने तक तो कई हफ्ते गुजर जाते हैं । ऐसे हानिकारक बेबीफूड की अपेक्षा शिशुओं के लिए ताजा, पौष्टिक व सात्त्वि खुराक परम्परागत रीति से हम घर में ही बना सकते हैं ।
विधि – 1 कटोरी चावल (पुराने हों तो अच्छा), 2-2 चम्मच चना, तुअर व मसूर की दाल, 6-6 चम्मच मूँग की दाल व गेहूँ – इन सबको साफ करके धोकर छाँव में अच्छी तरह से सुखा लें । धीमी ऑंच पर अच्छे-से सेंक लें । मिक्सर में महीन पीस के छान लें । 3-4 माह के बालक के लिए शुरुआत में आधा कप पानी में आधा छोटा चम्मच मिलाकर पका लें । थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर पाचनशक्ति अनुसार दिन में एक या दो बार दे सकते हैं । धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें । बालक बड़ा होने पर इसमें उबली हुई हरी सब्जियाँ, पिसा जीरा, धनिया भी मिला सकते हैं । हर 7 दिन बाद ताजा खुराक बना लें ।
यह स्वादिष्ट व पचने में अतिशय हलका होता है । साथ ही शारीरिक विकास के लिए आवश्यक प्रोटीन्स, खनिज व कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा में पूर्ति करता है ।
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